जहां एक तरफ वायू प्रदूषण की वजह से दिल्ली का दम फूल रहा है. वहीं मुंबई में हवा की गुणवत्ता खराब है. मुंबई के अस्पतालों में प्रदूषण की वजह से मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. खासतौर से 4 से 12 एज ग्रुप में बीमार बच्चों की तादाद बढ़ी है.

J J Hospital Mumbai:दिल्ली और एनसीआर प्रदूषण की मार से बेहाल हैं तो मुंबई का हाल भी कुछ वैसा ही है. पिछले कुछ महीनों से मुंबई में वायु प्रदूषण चरम पर है. अक्टूबर के महीने से ही अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. ऐसे में यहां के राजकीय सर जे.जे. अस्पताल ने सांस की समस्याओं से पीड़ित मरीजों को आपातकालीन उपचार प्रदान करने के लिए एक अलग ओपीडी वार्ड खोला है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुशरिफ ने बुधवार को यह जानकारी दी.मुशरिफ ने कहा कि इसके अलावा, सभी मेडिकल कॉलेजों को भी वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि की संभावना को देखते हुए इस संबंध में उचित कदम उठाने का निर्देश दिया गया है.
जे जे अस्पताल में अलग से ओपीडी वार्ड
अस्पताल रोजाना सुबह 8 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक ओपीडी में और बाद में श्वसन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए कैजुअल्टी या आपातकालीन वार्डों में ऐसे मरीजों का इलाज करेगा.मुशरिफ ने संबंधित अधिकारियों से एक अलग श्वसन विकार इकाई स्थापित करने और अस्पताल में ऐसे रोगियों के लिए सभी दवाओं, मास्क या उपकरण की उपलब्धता के लिए संस्थागत स्तर पर जरूरी उपाय सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है. मंत्री ने कहा कि चिकित्सा अधिकारी श्वसन संबंधी बीमारियों वाले रोगियों का दैनिक डेटा संकलित करेंगे और उन्हें अपने उच्च विभागों को सौंपेंगे और यदि रोगियों की संख्या बढ़ती हुई पाई जाती है तो अस्पताल में और वार्ड बनाए जाएंगे. बता दें कि मुंबई में वायु गुणवत्ता खराब होने की वजह से सांसों की समस्या खासतौर पर खांसी, बुखार, अस्थमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.
कंस्ट्र्क्शन की वजह से प्रदूषण
डॉक्टरों का कहना है कि पीएम 2.5 और पीएम 10 की वजह से अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में दिक्कत के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. दरअसल पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को जाम कर देते हैं और उसकी वजह से दम फूलने की परेशानी होती है. चिंता की बात यह है कि 4 से 12 एज ग्रुप में जिस तरह मामले सामने आ रहे हैं. इस एज ग्रुप में फेफड़ों का विकास हो रहा होता है, इस तरह की स्थिति में बच्चों में आगे चलकर बड़ी परेशानियां सामने आएंगे. वायू प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारी सबकी है. मुंबई और उसके अगल बगल के इलाकों में जिस रफ्तार से कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा है उसकी वजह से प्रदूषण में इजाफा हो रहा है.