Bihar Politics: बिहार में अपराधिक वारदातें बढ़ी हैं. लोगों को अचानक लालू यादव के शासनकाल की याद आने लगी है. लालू-राबड़ी के शासनकाल और लालू राज की कहानी हम आपको बताते इससे पहले खुद सीएम नीतीश कुमार ने भरे मंच से फिर आरजेडी पर तीर चलाते हुए लालू राज से तुलना करते हुए कहा- सब काम मैंने किया है.

Nitish Kumar Statement : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अप्रत्याशित सियासी रुख के लिए जाने जाते हैं. सियासत की बिसात में जेडीयू के सारथी नीतीश कब कौन सी चाल चल दें, कोई नहीं जानता? कुछ ऐसे ही घटनाक्रम में नीतीश कुमार पटना में एक बार फिर ऐसा बयान दे दिया कि पूरे सूबे में हड़कंप मच गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव (Lalu Yadav) और आरजेडी (RJD) सरकार को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. नीतीश कुमार ने गुरुवार को मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के एक आयोजन में बिना नाम लिए अपने मुख्यमंत्रीकाल के कामकाज की तुलना लालू राज से करते हुए कहा कि पहले कुछ होता था क्या? सब मेरा किया हुआ है. 

याद है लालू ‘राज’ का दौर : नीतीश

नीतीश कुमार ने उद्योग विभाग के एक कार्यक्रम में कहा, ‘याद है लालू ‘राज’ का दौर! बिहार के लालू राज में क्या होता था, यह सब आइडिया मेरा है, लोग भूलने लगे हैं.’ नीतीश कुमार समय-समय पर बीजेपी और पीएम मोदी की आलोचना करते आए हैं, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने कुछ कुछ पीएम मोदी की स्ट्रेटजी जैसा बयान देते हुए कहा, ‘2005 से जब से सत्ता संभाली है, तब से काम में लगा हूं. पहले कुछ नहीं होता था.’  गौरतलब है कि पीएम मोदी 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद देश-दुनिया के कई मंचों में कह चुके हैं कि जब से उन्होंने काम संभाला है, एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है. 

पहले भी चलाए सियासी तीर

नीतीश के आज के बयान के बारे में हैरान करने वाली बात इसलिए भी है क्योंकि इससे पहले भी वे लालू राज की नाकामी बता कर आरजेडी पर इशारों से तीर चला चुके हैं. कुछ दिन पहले भी सीएम नीतीश ने बिजली विभाग के एक कार्यक्रम में लालू राज की नाकामी बताकर आरजेडी को लपेटा था. उन्होंने कहा था कि 2005 से पहले बिहार में बिजली की व्यवस्था बदहाल थी, मगर उनके आने के बाद लोगों को 24 घंटे बिजली मिल रही है. 

‘सारा काम हम करवाए हैं’

अपने संबोधन के दौरान नीतीश ने कहा आरजेडी कोटे से मंत्री समीर महासेठ की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘मेरी बात सुनिए और तेजी से काम करिए. सारा आइडिया मेरा है, पहले कुछ नहीं हुआ था. जितना काम हुआ, हम कराए हैं. जाति आधारित गणना के जरिए हर जाति की स्थिति की जानकारी सार्वजनिक करवा दी है, अब सबका उत्थान करेंगे.’

क्या पिंड छुड़ाना चाह रहे हैं नीतीश?

अपनी ही सरकार के कार्यक्रम में गठबंधन के प्रमुख सहयोगी दल पर निशाना साधते हुए नीतीश के इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसली नीतीश ने बीजेपी और आरजेडी के साथ जितना इधर-उधर मूवमेंट किया है, उसे देखते हुए कुछ भी हो सकता है.

अभी पिछले महीने ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में एक यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह में सीएम नीतीश कुमार ने आयोजन स्थल पर मौजूद बीजेपी नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा था कि यहां जितने बैठे हैं, सब मेरे दोस्त हैं, ये दोस्ती कभी नहीं टूट नहीं सकती. तब भी ऐसी ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर कोई नई चाल चलकर सबको स्तब्ध कर सकते हैं.

नीतीश कुमार का पाला बदलने का इतिहास जानिए- मिला था ये नाम

नीतीश कुमार के करीब चालीस साल लंबे पॉलिटिकल करियर में उन्होंने पांच बार पाला बदला है. इस दौरान उनके ऊपर लालू प्रसाद यादव के अलावा जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव जैसे नेताओं को किनारे लगाने का आरोप लगा. नीतीश को सबसे पहले राजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने पलटूराम कहा था. 1994 में नीतीश कुमार ने जिसे बड़ा भाई कहा था उसी के खिलाफ बगावत कर दी थी. नीतीश ने अपने सियासी करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के साथ की थी. जेपी के आंदोलन के दौरान दोनों लड़े और मशहूर हुए. उस दौर में नीतीश, ने लालू को अपना ‘बड़ा भाई’ कहा था. आगे वो बीजेपी के सहारे सीएम बने फिर लगातार पाला बदला. 

वैसे भी राजनीति को संभावनाओं का खेल कहा जाता है, यहां स्थाई दोस्ती और दुश्मनी नहीं होती है. इस बात की मिसाल जम्मू-कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र की सियासत में देखी जा चुकी है. आपको बताते चलें कि 2005 से पहले बिहार में आरजेडी की सरकार थी और लालू एवं उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री. उस दौर को आज भी बिहार की जनता जंगलराज के नाम से याद करती है.