MP Election: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए संपन्न हुई वोटिंग ने सबको चौंका दिया है. क्योंकि प्रदेश में हर चुनाव में वोटिंग का रिकॉर्ड बन रहा है.

- 2003 में 67.25 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
- 2008 में 69.28 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
- 2013 में 72.07 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
- 2018 में 75.63 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
हर चुनाव में बढ़ रही वोटिंग
मध्य प्रदेश में पिछले चार चुनावों के वोटिंग रिकॉर्ड को देखा जाए तो 2003 से लेकर 2018 तक हर बार वोटिंग बढ़ी है. जबकि 2023 में भी यहां आंकड़ा और बढ़ गया. हालांकि वोटिंग परसेंटेज के आंकड़ों को देखे तो न केवल राजनीतिक जानकार हैरान हैं बल्कि प्रत्याशी भी इस वोटिंग से थोड़े असंमजस में जरूर हैं, क्योंकि इस बार भी वोटर्स ने मतदान तो खूब किया, लेकिन राजनीतिक पंडित भी यहां अंदाजा लगाने में जरूर मुश्किल में आ गए वोटिंग नतीजों में कैसे बदलेगी.
क्यों दिलचस्प हैं यह आंकड़े
2003 का विधानसभा चुनाव
2003 का विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश में एक तरह से बीजेपी के मजबूत युग की शुरुआत मानी जाती है. इस चुनाव के बाद बीजेपी कभी भी राज्य की राजनीति में कमजोर नहीं हुई. उमा भारती नेतृत्व में बीजेपी ने 170 से ज्यादा सीटें जीती थी. इस चुनाव में 67.25 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. यानि इस वोटिंग को सत्ता के खिलाफ देखा गया था.
2008 का विधानसभा चुनाव
2003 की बाद पांच साल बाद 2008 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत फिर बढ़ा, हालांकि इसमें कोई ज्यादा उछाल नहीं आया. 2008 में 69.28 वोटिंग हुई जो 2003 के वोटिंग प्रतिशत से 2 प्रतिशत ज्यादा थी. इस बार भी बीजेपी ने 140 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाई और सत्ता बरकरार रखी. लेकिन इस बार कांग्रेस बाउंसबेक करती नजर आई और पार्टी 70 से ज्यादा सीटें जीती थी.
2013 का विधानसभा चुनाव
2013 का विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश में दिलचस्प रहा. बीजेपी ने इस बार भी 160 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बरकरार रखी. जबकि इस बार वोटिंग प्रतिशत 72.07 रहा. जो 2008 के आंकड़ों से 1.50 प्रतिशत से ज्यादा था. खास बात यह रहा कि इस बार बीजेपी की सीटें 2008 के मुकाबले बढ़ गई, जबकि कांग्रेस की सीटें घट गई. कांग्रेस 55 सीटों के अंदर सिमट कर रह गई.
2018 का विधानसभा चुनाव
2018 का विधानसभा चुनाव एक बार फिर चौंकाने वाले रहा. इस बार बीजेपी बहुमत से दूर रही और पार्टी केवल 109 सीटों पर जीती. जबकि कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 114 सीटें जीती. लेकिन कांग्रेस भी बहुमत से दूर रही थी. इस बार वोटिंग प्रतिशत फिर बढ़ा, 2018 में 75.63 वोटिंग हुई थी.
दिलचस्प होंगे नतीजे
पिछले चार चुनावों पर नजर डाली जाए तो एक बात स्पष्ट हैं कि हर बार वोटिंग प्रतिशत तो बढ़ रहा है. लेकिन नतीजों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है. 2003 से 2013 तक वोटर्स ने बीजेपी पर ही भरोसा जताया था. लेकिन 2018 में वोटिंग प्रतिशत में ज्यादा इजाफा तो नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस की सीटें जरूर बढ़ी, जिससे यह माना जा रहा है कि इस बार वोटर्स ने किस मन से वोट डाला है, यह दिलचस्प होगा. ऐसे में 3 दिसंबर के दिन जो नतीजें आएंगे वह हैरान करने वाले हो सकते हैं.