यूपी कोटे से राज्यसभा सांसदों की 10 सीटें खाली हो रही हैं. इन सीटों पर अगले साल अप्रैल में चुनाव होना है. यहां हम बताएंगे कि किस दल के कितने उम्मीदवार बिना किसी परेशानी के राज्यसभा का हिस्सा बनने में कामयाब होंगे.

Rajya Sabha Elections: अप्रैल 2024 में यूपी कोटे से राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव होना है. इस चुनाव के बाद संसद के उच्च सदन में किस तरह का बदलाव होगा जानना दिलचस्प है. क्या अप्रैल में होने वाले चुनाव के बाद बीजेपी अपने दम पर जादुई आंकड़े को छू पाने में कामयाब होगी. या उसे और इंतजार करना होगा. इसके साथ ही यह भी जानना दिलचस्प है कि क्या समाजवादी पार्टी की सदस्य संख्या में इजाफा होगा या उसे और इंतजार करना होगा. ऐसे ही कांग्रेस और बीएसपी की स्थिति किस तरह की होगी. राज्यसभा में अगर बीजेपी और मजबूत होती है तो उसका असर देश के सबसे बड़े सियासी सूबे में से एक उत्तर प्रदेश की राजनीति किस तरह से प्रभावित होगी.

एक सीट के लिए इतने विधायकों का समर्थन जरूरी

यूपी विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या सहयोगियों के साथ 273 है. जबकि मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की स्ट्रेंथ 125 की है, बीएसपी के पास एक विधायक और कांग्रेस के दो विधायक हैं. राज्यसभा की एक सीट पर जीत दर्ज करने के लिए 37 विधायकों को वोट चाहिए. इस गणित के हिसाब से बीजेपी के कम से कम सात सांसद बिना किसी दिक्कत के चुनाव जीत जाएंगे. वहीं समाजवादी पार्टी तीन सांसदों को जीत दिलाने में कामयाब होगी. सदस्य संख्या के आधार पर बीएसपी और कांग्रेस खुद ब खुद चुनावी लड़ाई से बाहर हो जाएंगे. 

राज्यसभा की तस्वीर

  • बीजेपी-91
  • कांग्रेस-31
  • टीएमसी- 13
  • टीआरएस-7
  • वाईएसआर कांग्रेस- 13
  • आम आदमी पार्टी-10
  • समाजवादी पार्टी-3

फिर भी अल्पमत में रहेगी बीजेपी

अगर राज्यसभा में बीजेपी के सदस्यों की बात करें तो यह आंकड़ा 91 का है. राज्यसभा से बीजेपी को किसी बिल को पारित कराने में पार्टी को दूसरे दलों के समर्थन पर निर्भर रहना पड़ता है. अप्रैल 2023 में राज्यसभा के लिए होने वाले चुनाव में अगर बीजेपी कम से कम सात सीटों को जीत पाने में कामयाब होती है तो सदस्यों की संख्या 98 हो जाएगी. बावजूद संख्या बल के हिसाब से जादुई आंकड़े से पीछे ही रहेगी. अगर यूपी में कांग्रेस विधायकों की संख्या से देखें तो अप्रैल 2024 के चुनाव में यूपी से कांग्रेस को किसी तरह का फायदा नहीं होने वाला है. कांग्रेस को कम से कम कुछ और समय का इंतजार करना होगा. यही हाल बीएसपी का भी है. बीएसपी का विधायक किसी की हार और जीत में निर्णायक भूमिका तो अदा कर सकता है. लेकिन वो अपने दम पर राज्यसभा में किसी उम्मीदवार को नहीं भेज पाएगा.