यह कैसी विडंबना है ओडिशा के जिस बलंगीर इलाके में इनकम टैक्स की रेड में करोड़ों रुपये से भरे बैग ट्रक से ले जाने पड़े हैं, उसी इलाके में कुछ साल पहले लोग गरीबी और भुखमरी से मर जाते थे. हालात बदले हैं लेकिन वो तकलीफ, वो पीड़ा लोग आज भी नहीं भूले हैं. पढ़िए बलंगीर की दर्दनाक दास्तां.

Odisha Raid: बोरा भर- भरकर नोट, आलमारी ऐसी जिसमें नोट ही नोट हों… पहले ये बातें लोग हंसी में कहते थे लेकिन अब यह हकीकत है. शायद आपने भी यह तस्वीर देखी हो. आयकर विभाग ने ओडिशा की एक शराब बनाने वाली कंपनी के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है. यहां नोटों से भरे 156 बैग देखकर अधिकारी भी दंग रह गए. इसमें से निकले नोटों से आलमारी भर गई. हो सकता है आपके मन में यह सवाल उठा हो कि इतना पैसा गरीबों की जिंदगी बदल सकता था. कुछ घंटे पहले तक बैगों से निकाली गई नकदी में से केवल 20 करोड़ रुपये ही गिने जा चुके थे. ओडिशा में बलंगीर जिले के सुदापाड़ा में छापेमारी की गई थी. अभी कितना पैसा निकलेगा कहा नहीं जा सकता. देश की सबसे बड़ी शराब बनाने वाली और बिक्री करने वाली कंपनियों में शुमार ‘बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ कंपनीज’ के बलंगीर ऑफिस पर छापेमारी के दौरान लगभग 200 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए हैं. आयकर विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि उन्होंने इतने रुपये एक साथ नहीं देखे थे. ट्रक में नोटों से भरे बैग ले जाने पड़े, लेकिन पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई. जी हां, जिस बलंगीर जिले में छापेमारी में नोट ही नोट बरसे हैं उसकी दूसरी तस्वीर दर्दनाक है.
ओडिशा का KBK रीजन
दो साल पहले आई नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया था कि ओडिशा के बलंगीर जिले में करीब 28 फीसदी जनता गरीब है. यह जिला राज्य के उस कालाहांडी-बलंगीर-कोरापुट कॉरिडोर (KBK) में शामिल है जो कुछ समय पहले तक देश के सबसे पिछड़े हिस्से में गिना जाता था. यहां के लोगों ने भीषण गरीबी देखी है. ज्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और आदिवासियों की आबादी ज्यादा है. यहां के लोगों ने भुखमरी और कुपोषण से मौतें देखी हैं. एक बड़ा हिस्सा बेहद गरीबी में जी चुका है. केबीके क्षेत्र में 8 जिले आते हैं.
आज के हालात
अब इस हिस्से में काफी कुछ बदला है. आज बलंगीर बड़े पैमाने पर कॉटन उगाता है. हालांकि लोगों की शिकायत यह भी है कि सिंचाई बेहतर होने और किसानों के हित वाली योजनाओं का फायदा सबको एक समान रूप से नहीं हुआ है. कुछ साल पहले तक यह क्षेत्र बाढ़ और सूखे से बेहाल रहता था. मलेरिया का प्रकोप और दूसरी बीमारियां आम बात थीं.
जरा सोचिए, नोटों की यह तस्वीर जब बलंगीर के बुजुर्ग देख रहे होंगे तो कुछ साल पहले की गरीबी को याद कर कितने दुखी हो रहे होंगे. एक तरफ उनके अपने गरीबी में दम तोड़ गए और उसी इलाके में आज गैरकानूनी तरीके से बोरा भरकर नोट निकल रहे हैं.