Asaduddin Owaisi on Mathura: ट्वीट में ओवैसी ने लिखा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे को मंजूरी दे दी है. बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद मैंने कहा था कि इससे संघ परिवार की शरारतें बढ़ेंगी. पूजा स्थल अधिनियम के तहत ऐसी मुकदमेबाजी पर रोक के बावजूद ये हो रहा है.

Mathura Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने की इजाजत दे दी है. इसे लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने हमला बोला है.
ट्वीट में ओवैसी ने लिखा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे को मंजूरी दे दी है. बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद मैंने कहा था कि इससे संघ परिवार की शरारतें बढ़ेंगी. पूजा स्थल अधिनियम के तहत ऐसी मुकदमेबाजी पर रोक के बावजूद ये हो रहा है.
सहमति से सुलझाया गया था मुद्दा
दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से मथुरा विवाद सुलझाया गया था. लेकिन अब एक नया गुट इस मुद्दे को हवा दे रहा है. चाहे वह काशी हो, मथुरा हो या लखनऊ की टाइले वाली मस्जिद, यह एक ही गुट है. कोई भी उस समझौते को यहां पढ़ सकता है, जिसे अदालत के सामने तय किया गया था.
ओवैसी ने आगे लिखा, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट अभी भी लागू है. लेकिन यह गुट कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक उड़ा रहा है. सुप्रीम कोर्ट को यह मामला 9 जनवरी को सुनना था. तो सर्वे की इजाजत देने की ऐसी क्या जल्दी थी.
‘मुस्लिमों की अस्मत लूटना इकलौता लक्ष्य’
AIMIM चीफ ने ट्वीट में लिखा, प्लीज हमें लेना और देना मत सिखाइए, जब एक पक्ष लगातार मुस्लिमों को निशाना बनाने में दिलचस्पी ले रहा हो लेकिन कानून अब मायने नहीं रखता. मुसलमानों से उनकी अस्मत लूटना ही अब इकलौता टारगेट है.
क्या है मामला
यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों ने अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है. जस्टिस मयंक कुमार जैन ने इससे पहले 16 नवंबर को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था.
‘स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक’
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, इस याचिका में कहा गया है कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी.
याचिका में यह भी बताया गया था कि मस्जिद के स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक हैं और नक्काशी में ये साफ दिखते हैं. याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सर्वे के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने के विशेष निर्देश के साथ एक आयोग का गठन किया जाए. इस पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने का भी अनुरोध किया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस साल मई में मथुरा की अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी मुकदमे अपने पास ट्रांसफर कर लिए थे.