Hemant Soren Resign: चंपई सोरेन झारखंड के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं. सीधे सादे दिखने वाले चंपई को ‘कोल्हान टाइगर’ कहा जाता है. राजनीतिक प्रक्रियाएं तो पूरी हो गई हैं लेकिन राज्यपाल की ओर से बुलावा नहीं आया है. ऐसे में राष्ट्रपति शासन की भी आशंकाएं जताई जाने लगी हैं.

Who is Champai Soren: खामोशी से भी नेक काम होते हैं, मैंने देखा है पेड़ों को छांव देते हुए… ये पंक्तियां सोशल मीडिया पर चंपई सोरेन ने कुछ दिन पहले लिखी थीं. कल तक यह नाम देश के बहुत से लोगों के लिए अनजान था, लेकिन झारखंड के लोग जानते हैं कि कैसे एक साधारण से दिखने वाले 67 साल के मंत्री एक ट्वीट पर मदद के लिए सक्रिय रहते हैं. वह सीधे डीसी (जिलाधिकारी) को संबोधित करते हुए लिखते हैं, बाद में मदद होने पर धन्यवाद ट्वीट भी करते हैं.
बाल सफेद हो गए हैं लेकिन उनकी कर्मठता दूसरों के लिए मिसाल है. किसी तरह की राजनीतिक उथल-पुथल न हुई तो वह झारखंड के नए सीएम बन सकते हैं. उन्हें ‘कोल्हान टाइगर’ कहा जाता है. ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि साधारण से दिखने वाले चंपई ‘टाइगर’ कैसे बने?
जी हां, एक ठेठ किसान से आगे बढ़कर चंपई ने ‘टाइगर’ उपनाम कमाया है. उनकी बेहद साफ-सुथरी छवि है. आदिवासी कल्याण मंत्री और परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे चंपई का कोल्हान क्षेत्र में काफी प्रभाव है. राज्य की 40 आदिवासी बहुल सीटों पर वह तस्वीर बदल सकते हैं. वह इस क्षेत्र से विधायक रहे हैं और हेमंत के पिता शिबू सोरेन के काफी करीबी हैं. वह जंगल और जमीन को मां मानते हैं.
झारखंड आंदोलन के दौरान एक योद्धा की तरह भूमिका निभाने के लिए उन्हें Kolhan Tiger कहा गया. ट्रेड यूनियन का नेतृत्व किया और जमशेदपुर, आदित्यपुर में सफलतापूर्वक ट्रेड मूवमेंट चलाया. चंपई कोल्हान क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले हैं. इसी क्षेत्र ने झारखंड को तीन मुख्यमंत्री दिए हैं.
तब चंपई को CM का पद देने वाले थे शिबू
‘झारखंड: सपने और यथार्थ’ किताब में हरिवंश ने लिखा है कि कुछ साल पहले जब शिबू सोरेन सीएम थे तो वह इस्तीफा देने पर सहमत हो गए थे. हालांकि वह मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए चंपई सोरेन को यूपीए का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करा देना चाहते थे. चंपई को तब सीएम बनाने के पीछे उनकी रणनीति स्पष्ट थी. वह उनके वफादार साथी हैं. शिबू की योजना थी कि वह जामताड़ा उपचुनाव जीतकर आएं, फिर चंपई सोरेन इस्तीफा दे देंगे और वह फिर से सीएम बन जाएंगे. तब वह पद छोड़ने के पहले वापसी की योजना को फूलप्रुफ बना लेना चाहते थे. हालांकि चंपई सीएम नहीं बन पाए.
आज मीडिया में चंपई सोरेन के बयान आ रहे हैं. आज सुबह उन्होंने एक बात कई बार दोहराई, ‘गुरुजी हमारे आदर्श हैं.’ आगे बोले कि आदिवासी की आवाज को दबाया जा रहा है, ये बरसों से है आज से नहीं है. हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपई को ही विधायक दल के नेता के तौर पर चुना गया है. उन्होंने गठबंधन की ओर से नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. उनके सपोर्ट में 47 विधायक बताए जा रहे हैं. हालांकि जिस तरह से चंपई को राजभवन से न्योता भेजने में देरी हो रही है, उससे राष्ट्रपति शासन लगाने की आशंकाएं भी जताई जाने लगी हैं.
- चंपई ने अलग राज्य के रूप में झारखंड के गठन के लिए आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
- चंपई 1991 से तीन दशक से ज्यादा समय तक सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं.
- नवंबर 1956 में झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के जिलिंगगोरा गांव में जन्मे चंपई सोरेन मैट्रिक पास हैं.
- वह सात बच्चों के पिता हैं. किसान के बेटे हैं और उनका हेमंत सोरेन परिवार से कोई संबंध नहीं है.