Ahoi Ashtami Vrat 2023: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन पुत्रवती महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. फिर अहोई अष्टमी का पूजन किया जाता जाता है. पूजन के बाद चांद निकलने पर अर्घ्य देकर पकवान खाया जाता है.

Ahoi Ashtami Vrat katha: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत त्योहार का अपना महत्व है और हर व्रत की पूजा विधि तथा फल भी अलग अलग हैं. ऐसा ही एक व्रत है अहोई अष्टमी जिसे अहोई आठें भी कहा जाता है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन पुत्रवती महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, संध्या के समय पूजन के लिए दीवार पर एक आठ कोनों वाली पुतली बनायी जाती है और पुतली के पास ही स्याऊ माता व उसके बच्चे बनाए जाते हैं. आजकल बाजार में अहोई अष्टमी पूजन के लिए बाजार में छपे हुए कैलेंडर मिलते हैं जिन्हें दीवार पर चिपका कर पूजन किया जाता है. पूजन के बाद चांद निकलने पर अर्घ्य देकर पकवान खाया जाता है. इस बार अहोई अष्टमी 5 नवंबर को है.
अहोई अष्टमी की कथा इस प्रकार है…
एक दिन एक ननद और भाई मिट्टी खोदने गईं, ध्यान न देने से ननद ने गलती से स्याऊ की मांद को खोद दिया जिससे उसके अंडे टूट गए और बच्चे भी लहूलुहान हो गए. स्याऊ माता ने जब अपनी मांद और बच्चों की दुर्दशा देखी तो क्रोध में बोली, मैं तुम्हारे बच्चों और पति को खा जाऊंगी. भाभी हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी तो उसने कहा सजा तो मिलेगी ही, इस पर ननद की सजा भाभी लेने को तैयार हो गयी और स्याऊ माता बोली, मैं तेरी कोख व मांग दोनों हरूंगी, इस पर भाभी ने हाथ जोड़ विनती की कि कोख को भले ही हर लो पर मांग न हरना. स्याऊ मान गयी.
समय बीता और भाभी के पहला बच्चा हुआ, शर्त के अनुसार भाभी ने अपनी संतान स्याऊ को दे दी. एक एक कर उसके छह पुत्र हुए और सारे उसने स्याऊ को सौंप दिए और खुद पुत्रहीन ही रही. जब उसकी सातवीं संतान होने को थी तभी पड़ोस की महिला ने आकर सुझाव दिया कि बच्चा स्याऊ के आंचल में डाल कर उसके पैर छू लेना. इसी बीच बच्चे को चुटकी काट लेना तो वह रोने लगेगा. ऐसा ही हुआ तो स्याऊ बोली बच्चा क्यों रो रहा है, भाभी ने जवाब दिया वह तुम्हारे कान की बाली मांग रहा है. बाली देने के बाद स्याऊ चलने लगी तो फिर से भाभी ने उसके पैर छुए तो पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया. भाभी ने कहा कि पुत्र के बिना पुत्रवती कैसी. इस पर स्याऊ माता बोलीं मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रही थी, उसने बच्चा वापस करने के साथ ही अपने बालों की लट फटकारी तो छह पुत्र पृथ्वी पर आ गए. स्याऊ माता आशीर्वाद देकर अपने घर चली गयीं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. MUKHYA KHABRE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)