CRPC: संसद में आपराधिक कानूनों से जुड़े तीनों विधेयकों पर जोरदार बहस देखने को मिली है. इसी बहस में बोलते है असदुद्दीन ओवैसी का शायराना अंदाज देखने को मिला है. उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि वे इसका विरोध करते हैं और वे किसी से डरने वाले नहीं हैं.

Changes In Criminal Laws: संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए बिल लेकर आई है. इस पर जबरदस्त चर्चा देखने को मिली है. एक तरफ जहां लोकसभा में इस पर गृहमंत्री अमित शाह जवाब दे रहे हैं तो वहीं इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए नाराजगी जाहिर की और शायराना अंदाज में सरकार को घेरा है. उन्होंने कई शेर पढ़ें. जॉन एलिया का एक शेर पढ़ते हुए उन्होंने कहा, ‘जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूं.. तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते’ ओवैसी ने नए कानूनों की रौलट ऐक्ट से तुलना करते हुए उनका विरोध किया. इसी बीच जब किसी सदस्य ने उन्हें टोका तो ओवैसी आगबबूला हो गए और कहने लगे कि वह मरने को तैयार हैं, उनकी गोलियां खत्म हो जाएंगी लेकिन वह जिंदा रहेंगे.
..आप कहते हैं तो जंजीर हिला देते हैं’
असल में AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने तीनों विधेयकों का विरोध करते हुए अपने भाषण की शुरुआत ही शायराना अंदाज में की. उन्होंने कहा कि हमको शाहों की अदालत से तवक्को तो नहीं, आप कहते हैं तो जंजीर हिला देते हैं. बाद में ओवैसी ने जॉन औलिया का शेर पढ़ा और फिर चर्चा के दौरान जेलों में बंद मुस्लिमों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि भारत के जेलों में अगर सबसे ज्यादा अंडरट्रायल कैदी हैं तो वह मुस्लिम हैं. जेलों में 20 प्रतिशत मुस्लिम बंद हैं जबकि उनका कन्विक्शन रेट 14 प्रतिशत है और आबादी में हिस्सेदारी 14 फीसदी है. ओवैसी ने नए कानूनों की अंग्रेजों के जमाने के रौलट ऐक्ट से तुलना करते हुए कहा कि आज सूट पहनने वाला क्राइम से, जुर्म से, जेल से बच जाता है. खाकी पहनने वाला हथकड़ी पहने मुजरिम को करीब से गोली मार सकता है, कोई जवाबदेही नहीं है.
आखिर क्यों नहीं है भरोसा?
इतना ही नहीं ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि ये विधेयक देश के आम लोगों के खिलाफ हैं. इसके कानून बनने के बाद लोगों से उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे. ओवैसी ने आगे कहा कि कई ऐसे प्रावधान शामिल किए गए हैं जो बहुत खतरनाक हैं. ये नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खतरा हैं. इसमें पुलिस को ‘न्यायाधीश, जूरी और एक्जिक्यूटर’ के रूप में काम करने की शक्तियां भी दे दी गई हैं. इतना ही नहीं, लोकसभा में पेश किए गए विधेयकों में राजद्रोह के अपराध को एक अलग अवतार में पेश किया गया है. साथ ही न्यूनतम सजा को भी तीन साल से बढ़ाकर सात साल कर दिया गया है.
सरकार पर निशाना साधते हुए कहा..
इसके साथ ही उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता के लिए अविश्वास और धंधे के लिए विश्वास सरकार का मंत्र है. उन्होंने कहा कि आज सूट पहनने वाला सजा से बच जाता है. खाकी पहनने वाला किसी को भी गोली मार सकता है और उसकी कोई जवाबदेही नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि संसद में बैठे जिन लोगों पर आतंकवाद के आरोप हैं, वह इस कानून में बताएंगे कि आतंकवाद किया है.