सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले को लेकर अपनी बात फिर दोहराई है। राहुल गांधी ने उनसे चर्चा के दौरान एयरपोर्ट की घटना सुनाई जब वह शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे और उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया। जब मुझे पता लगा कि हमारे जो शहीद ​(शहीदों के ताबूत) हैं एयरपोर्ट आ रहे हैं तो मैं सीधे एयरपोर्ट चला गया। हमारी सिक्योरिटी वालों ने कहा कि नहीं, आप मत जाइए। मगर मैंने कहा कि मैं जा रहा हूं। मैं एयरपोर्ट चला गया तो मुझे कमरे में बंद कर दिया गया। मुझे कहा गया कि आप कमरे से नहीं निकल सकते। उधर, शहीदों के ताबूत आए थे, प्रधानमंत्री आ रहे थे और मुझे चाभी से कमरे में बंद कर दिया गया। मैंने सिक्योरिटी वालों से कहा कि ऐसे कैसे कर सकते हैं। मैं लड़कर वहां से निकला। मुझे लग रहा था जैसे वहां शो क्रिएट किया गया… कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ एक चर्चा में यह खुलासा किया।

राहुल गांधी ने कहा कि उस दिन मुझे लगा कि जैसे एयरपोर्ट पर बड़ा इवेंट हो रहा है। जैसे प्रधानमंत्री देश को दिखा रहे हैं। आगे सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘जिस दिन ये हुआ उस दिन ये (पीएम) कॉर्बेट पार्क में शूटिंग करा रहे थे। 3-4 बार मैंने कोशिश की, ये मिले ही नहीं। 5-6 बजे इनका फोन आया- हां सत्यपाल भाई क्या हुआ। मैंने कहा कि हमारे इतने लोग मर गए हैं और हमारी वजह से मरे हैं। उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं, चुप रहना कुछ मत बोलना अभी। एक घंटे बाद मेरे क्लासफेलो डोभाल का फोन आया। तब तक मैं दो चैनल को ये बात बोल चुका था। उन्होंने कहा कि नहीं, नहीं कुछ नहीं बोलना इस पर।’

राहुल के साथ बातचीत में मलिक ने कहा कि आजादी के बाद राजनीति कर्तव्य था। लोग करते थे उस तरह से फिर ये प्रोफेशन हो गया। अब ये बिजनस हो गया है। कश्मीर की समस्या का हल क्या है, राहुल के सवाल पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर ने कहा कि सबसे पहले तो राज्य का दर्जा वापस करना चाहिए फिर इलेक्शन कराना चाहिए। उन्हें 370 इतना नहीं चुभा जितना स्टेटहुड लेकर केंद्रशासित प्रदेश बनाना चुभा। मुझे लगता है कि UT इसलिए बनाया क्योंकि इन्हें ये आशंका थी कि पुलिस बगावत कर जाएगी जबकि पुलिसकर्मी पूरी ईमानदारी के साथ सरकार के साथ रहे। ईद का मौका था पर पुलिसवालों ने छुट्टी भी नहीं मांगी। पुलवामा के सवाल पर मलिक ने कहा, ‘मैं ये तो नहीं कहता कि इन्होंने कराया है लेकिन पुलवामा में उन्होंने इग्नोर किया और राजनीतिक रूप से उसे अपने लिए इस्तेमाल किया। उस समय के इनके भाषण हैं जब ये कहते हैं कि वोट देने जाओ तो पुलवामा की शहादत को याद रखना।’

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