हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व माना जाता है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद यानी अगले दिन अमावस्या तिथि आती है. इस तिथि पर पितरों की पूजा और तर्पण करने के विधान है. साथ ही इस दिन पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख के माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 7 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 8 मई को सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार वैशाख अमावस्या 8 मई 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें. स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहने और सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें. पितरों का तर्पण करें और संभव हो, तो उपवास रखें. इसके बाद क्षमतानुसार दान-पुण्य के कार्य में शामिल हों जिससे कि पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

वैशाख अमावस्या के उपाय
दान-पुण्य के कार्य: वैशाख अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार कपड़े, चीनी, अनाज और धन का दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से जातक पर पितरों की कृपा हमेशा बनी रहती है.
पशु-पक्षियों की सेवा: अमावस्या तिथि के दिन पशु-पक्षियों के सेवा करना और उन्हें दाना खिलाना बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.
इस मंत्र का जाप करें: वैशाख अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ऊँ कुल देवताभ्यों नमः मंत्र का जाप करना लाभकारी साबित हो सकता है.
 

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