भोपाल । लोकसभा चुनाव से फारिग हुए कलेक्टर अब मुख्य सचिव के उस निर्देश पर अमल की तैयारी में जुट गए हैं जिसमें कोर्ट में पेंडिंग केस के जवाब पेश नहीं करने की रिपोर्ट मांगी गई है। मुख्य सचिव जून माह में इसकी समीक्षा करने वाली हैं कि किन जिलों में किस विभाग से संबंधित कितने केस पेंडिंग और कितने मामलों में जवाबदावा पेश नहीं किया गया है। इसकी समीक्षा तीन माह बाद करने के लिए कहा गया है। इसलिए कलेक्टरों की एक्टिविटी अब इस ओर तेज होने लगी है कि पेंडिंग मामलों में जबाव पेश कराया जाए।
16 मार्च से चुनाव आचार संहिता लागू हुई है। इसके पहले फरवरी में यह निर्देश मुख्य सचिव द्वारा जीएडी को दिए गए थे और जीएडी ने मार्च में इसको लेकर सभी विभाग प्रमुखों, कलेक्टरों, विभागाध्यक्षों और संभागायुक्तों से तीन माह के भीतर पेंडिंग केस में जबावदावा पेश कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। कलेक्टरों को यह पत्र पिछले माह मिल गए हैं लेकिन चुनाव के लिए नामांकन और अन्य चुनावी प्रक्रियाओं के चलते कलेक्टर इस पर फोकस नहीं कर पा रहे थे। अब जबकि 29 में से 21 लोकसभा सीट पर चुनाव कराए जा चुके हैं तो कलेक्टरों का फोकस शासन के इस पत्र पर हुआ है और कई जिलों में कलेक्टरों ने इसको लेकर विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाकर कोर्ट केस की जानकारी मांगी है। साथ ही जिन मामलों में जबावदावा पेश नहीं किया गया है उसमें कोर्ट में उपस्थित होकर जबावदावा पेश करने के लिए कहा गया है।
इन जिलों में हो चुके हैं चुनाव
जिन जिलों में लोकसभा चुनाव की मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है उसमें रीवा, सीधी, शहडोल, सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर, सतना, मंडला, जबलपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, नरसिंहपुर, बालाघाट, सागर, छतरपुर, दमोह, कटनी, विदिशा, रायसेन, बैतूल, भोपाल, राजगढ़, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया, अशोकनगर, गुना, टीकमगढ़, श्योपुर, शिवपुरी, हरदा, नर्मदापुरम जिले शामिल हैं। इसके अलावा सीहोर, रायसेन, देवास, खंडवा, शाजापुर समेत कई अन्य जिलों में कुछ विधानसभा सीट पर चुनाव हो चुके हैं तो कुछ में अंतिम और चौथे चरण में मतदान 13 मई को कराए जाएंगे।


विभागीय प्रमुख भी कर रहे कोर्ट के फैसलों का निपटारा


जिला स्तर पर पेंडिंग और प्रचलित कोर्ट के प्रकरणों का निराकरण करने के साथ विभिन्न विभागों के सचिव और आयुक्त स्तर के अधिकारी विभागीय मामलों में कोर्ट प्रकरणों का निपटारा कर रहे हैं। इसमें एमएसएमई के नव नियुक्त आयुक्त डॉ नवनीत मोहन कोठारी के कई फैसले अप्रेल माह में हुए हैं जिसमें उन्होंने अलग-अलग जिलों के महाप्रबंधकों द्वारा जारी आदेशों पर की गई अपील पर सुनवाई के बाद आदेश जारी किए हैं। इसी तरह खनिज विभाग के मामलों में भी कार्यवाही की जा रही है। दूसरे विभाग भी जिलों के अधिकारियों के आदेश के खिलाफ अपील में आने वाले प्रकरणों का निराकरण तेजी से कर रहे हैं ताकि जून में होने वाली मुख्य सचिव की समीक्षा बैठक में कोर्ट के प्रकरणों के निपटारे और जबावदावा वाले मामलों में रिपोर्ट दी जा सके।

अधिकारी इसलिए पीछे हट रहे
इधर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि एक केस के लिए जबावदावा तैयार करने में तीन से पांच हजार रुपए तक खर्च हो जाते हैं और यह राशि मिलती नहीं है। इसके अलावा अधिकारी के अपने हाईकोर्ट आने-जाने और जबलपुर, इंदौर या ग्वालियर में रुकने का खर्च अलग होता है। इन स्थितियों को देखते हुए ही जबावादावा के मामले में विभागीय जिला अधिकारी रुचि नहीं लेते हैं और स्थिति यह बनती है कि समय पर जबाव नहीं मिलने पर प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव को कोर्ट में पार्टी बना दिया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *