नई दिल्ली । देश को वर्ष 2030 तक देश के 24 करोड़ घरों को ब्रॉडबैंड सेवाओं से जोड़ने के लिए 4.2 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत पड़ेगी। एक उद्योग विशेषज्ञ ने यह अनुमान जताया है। ईवाई ग्लोबल के दूरसंचार क्षेत्र प्रमुख एवं भागीदार प्रशांत सिंघल ने ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) के सम्मेलन में कहा कि भारत में फिलहाल चार करोड़ घर ही ब्रॉडबैंड से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा ‎कि ऐसे में 24 करोड़ घरों को तीव्र रफ्तार वाली ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ने के लिए भारत को सभी तरह के डिजिटल संपर्क बुनियादी ढांचे पर 4.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होगी। सिंघल ने इसका ब्योरा देते हुए कहा कि फाइबर बिछाने पर 2.7-3 लाख करोड़ रुपये, बुनियादी ढांचे पर 90,000-96,000 करोड़ रुपये, वाईफाई और इन-बिल्डिंग समाधान पर 6,600-9,000 करोड़ रुपये, डेटा सेंटर पर 9,700-14,100 करोड़ रुपये और उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं पर 26,000-29,000 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (यूएसओएफ) के अलावा सरकार जरूरी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) कोषके उपयोग की अनुमति दे सकती है। इसका उपयोग डिजिटल शैक्षिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भी किया जा सकता है। अमेरिका में घरों तक ब्रॉडबैंड की पहुंच 92 प्रतिशत, चीन में 97 प्रतिशत, जापान में 84 प्रतिशत और जर्मनी में 82 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि देश में शहरी ब्रॉडबैंड की पहुंच 3.6 करोड़ घरों तक है जबकि ग्रामीण इलाकों में लगभग 30 लाख कनेक्शन हैं। इन्हें वर्ष 2030 तक क्रमशः 10 करोड़ और 15.3 करोड़ घरों तक पहुंचाने की जरूरत है। बीआईएफ के अध्यक्ष टीवी रामचंद्रन ने कहा कि देश में फिक्स्ड ब्रॉडबैंड का मौजूदा ढांचा डेटा की बढ़ती खपत के साथ तालमेल नहीं बिठा सकता है। उन्होंने कहा ‎कि हमें अगले छह साल में फिक्स्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन में 20 प्रतिशत की न्यूनतम वार्षिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी

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