
हमास के समर्थन में अंडर करेंट
जम्मू-कश्मीर में इस बाबत उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक हो चुकी है। राज्य से लगते पाकिस्तान के बॉर्डर पर सुरक्षा को और ज्यादा कड़ा किया गया है। ऐसे प्वाइंट, जहां से सर्दियों के दौरान घुसपैठ की संभावना बनी रहती है, वहां पर अतिरिक्त चौकसी बरती जा रही है। केंद्रीय इंटेलिजेंस एजेंसी आईबी, रॉ, जम्मू-कश्मीर पुलिस की खुफिया इकाई और विभिन्न केंद्रीय बलों की इंटेलिजेंस यूनिट सक्रिय हैं। सूत्रों का कहना है, इस्राइल और हमास की लड़ाई के बीच जम्मू-कश्मीर में किसी तरह का बड़ा प्रदर्शन नहीं होने दिया गया है। हालांकि पाकिस्तानी खुफिया इकाई आईएसआई ने घाटी में अपने स्लीपर सेल/ओवर ग्राउंड/अंडर ग्राउंड वर्कर को सक्रिय किया था, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की लगातार निगरानी से वे अपनी मंशा में कामयाब नहीं हो सके। सूत्र बताते हैं कि भले ही वहां पर कोई बड़ा प्रदर्शन या अन्य तरह की गतिविधि देखने को नहीं मिली है, लेकिन हमास के समर्थन में अंडर करेंट देखा जा रहा है।
हमास और जम्मू कश्मीर की चर्चा
इंटेलिजेंस एजेंसियों को ऐसे इनपुट मिले हैं, जिनमें पाकिस्तान के सोशल मीडिया में जम्मू-कश्मीर को लेकर अनेक संदेशों का आदान प्रदान हुआ है। उन संदेशों में हमास और जम्मू कश्मीर की चर्चा है। जिस तरह से हमास ने इस्राइल पर हमला किया है, कुछ वैसा ही दुस्साहस जम्मू-कश्मीर में भी हो सकता है। इसका ये मतलब भी निकाला जा रहा है कि किसी इलाके में आतंकियों की बड़े स्तर पर कोई घुसपैठ कराई जा सकती है। हमास ने इस्राइल में प्रवेश करने के लिए जो तकनीक अपनाई थी, कुछ वैसी ही ट्रिक जम्मू कश्मीर में घुसने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। केंद्रीय एजेंसियों के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से सतर्कता बरती जा रही है। हर तरह की स्थिति का आंकलन किया जा रहा है। इस्राइल और जम्मू-कश्मीर की स्थिति में बहुत ज्यादा अंतर है। भौगोलिक और सामरिक, दोनों ही मामलों में पाकिस्तान के आतंकियों के लिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करना आसान नहीं है। वैसी ट्रिक यहां काम नहीं आएगी। हां, आतंकी संगठन कुछ नया कर सकते हैं, उनकी सोच कहां तक जा सकती है, उसके मुताबिक सुरक्षा एजेंसियां काम कर रही हैं।
पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक ने किया था खुलासा
इस्राइल और हमास के बीच लड़ाई जारी है। इससे पहले जून 2021 में पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और वरिष्ठ सांसद रजा जफर उल हक ने सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार की थी कि पाकिस्तान आर्मी ने गाजा पट्टी में हमास के लड़ाकों को मिलिट्री ट्रेनिंग दी है। हमास के लिए यह ट्रेनिंग प्लेटफार्म लंबे समय से संचालित हो रहा है। यह बात भी सामने आई कि पाकिस्तानी आर्मी ने अपनी स्पेशल कमांडो यूनिट की एक बटालियन को गाजा में भेजा था। अब इस्राइल पर हमास के अटैक के बाद दोबारा से वही बात कही जा रही है। हमास के लड़ाकों की ट्रेनिंग में पाकिस्तान की सक्रिय भूमिका बताई जा रही है। रजा जफर उल हक ने कहा था, जब मैं ट्यूनिशिया गया तो वहां अबू जिहाद (खलीद अल वजीर) उस समय जिंदा थे। उन्होंने एक बड़ा खुलासा किया था। अबू जिहाद ने रजा जफर को बताया था कि हमास की जब कभी इस्राइल के साथ लड़ाई होती है, तो उसमें सबसे ज्यादा संख्या उन लड़ाकों की रहती है, जिन्हें पाकिस्तान से मिलिट्री ट्रेनिंग मिली होती है। वह ट्रेनिंग नियमित तौर पर जारी है। गाजा में सक्रिय रही फतह पार्टी के सह संस्थापकों में अबू जिहाद भी शामिल थे।