दुनिया के एक देश से ऐसी खबर आई है, जो काफी हैरान करने वाली है. इस देश ने ट्रांसजेंडर्स, नॉन बाइनरी और इंटरसेक्स लोगों को आधिकारिक तौर पर ‘मानसिक रूप से बीमार’ घोषित किया है.

ट्रांसजेंडर्स, नॉन बाइनरी और इंटरसेक्स लोगों को लेकर दुनिया के तमाम देशों में अलग-अलग तरह की बातें होती हैं. कहीं इन्हें अपना लिया गया है, तो कहीं आवाज दबाई गई है. तो वहीं बहुत से देश आए दिन इनके अधिकारों की भी बात करते हैं. इस बीच दुनिया के एक देश से ऐसी खबर आई है, जो काफी हैरान करने वाली है. दक्षिण अमेरिकी देश पेरू ने आधिकारिक तौर पर बड़ा फैसला लिया है.

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस देश ने ट्रांसजेंडर्स, नॉन बाइनरी और इंटरसेक्स लोगों को आधिकारिक तौर पर ‘मानसिक रूप से बीमार’ घोषित किया है. साथ ही इन्हें मुफ्त इलाज देने की बात कही गई है. टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, पेरू के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि ये विवादास्पद निर्णय इस बात को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं ट्रांस समुदाय को भी मिलें, इनके ‘मानसिक स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा देखभाल की पूर्ण कवरेज की गारंटी दी जा सकें.’

LGBTQ+ आउटलेट पिंक न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले के तहत आवश्यक स्वास्थ्य बीमा योजना की भाषा में बदलाव किया जाएगा, ताकि ये दर्शाया जा सके कि ट्रांस और इंटरसेक्स लोग मानसिक तौर पर बीमार हैं. आउटलेट की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि इस बदलाव के बावजूद ट्रांस और अन्य LGBTQ+ लोगों को कन्वर्जन थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा.

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हालांकि देशभर के LGBTQ+ ग्रुप्स के कार्यकर्तायों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि ये उनके अधिकारों और सुरक्षा की लड़ाई को पीछे घसीट रहा है. OutfestPeru के एडिटर झीन्सर पकाया ने एक्स पर लिखा, ‘समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के 100 साल बाद, @Minsa_Peru के पास ट्रांस लोगों को मानसिक बीमारियों की श्रेणी में शामिल करने से बेहतर कुछ नहीं था. हम इसकी मांग करते हैं और तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक इसे रद्द नहीं किया जाता.’

लीमा के साउथ साइंटिफिक यूनिवर्सिटी के मेडिकल शोधकर्ता पर्सी मायटा-ट्रिस्टन ने टेलीग्राफ को बताया कि इस फैसले में LGBTQ+ से जुड़े मुद्दों को लेकर जागरूकता की कमी दिखाई देती है. उन्होंने कहा, ‘आप इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि ये एक बेहद रूढ़िवादी समाज में हो रहा है, जहां LGBTQ समुदाय के पास कोई अधिकार नहीं है और जहां उन्हें मानसिक रूप से बीमार घोषित कर देने से कन्वर्जन थेरेपी के दरवाजे खोले जा रहे हैं

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