अमेरिका-ईरान के बीच क्या चल रहा है?
बीते 10 दिन में पूर्वी सीरिया और पश्चिमी इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर रॉकेट और ड्रोन से हमला हुआ है। ऐसे कम से कम 22 हमले हुए हैं। इन हमलों में 20 से अधिक अमेरिकी सेवा कर्मी घायल हो गए हैं। इस बीच एक अमेरिकी नागरिक की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की मानें तो इराक में अमेरिका के 2500 और सीरिया में 900 सैनिक तैनात हैं।

हमलों के बाद अमेरिका ने क्या रुख अपनाया है?
इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हमले जारी रहने पर जवाब देने की चेतावनी दी। इसी कड़ी में गुरुवार को अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई की। इस दौरान एक गोदाम और एक बंकर पर एफ-16 जेट विमानों द्वारा सटीक युद्ध सामग्री के साथ हवाई हमले किए गए। कहा गया कि यहां हमले के जिम्मेदार आतंकी समूहों ने हथियार जुटा कर रखे थे। 

इस बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे. ऑस्टिन ने कहा, ‘अमेरिकी सैन्य बलों ने पूर्वी सीरिया में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और इससे जुड़े समूहों के दो ठिकानों पर आत्मरक्षा के तहत हमले किए। हमें सिलसिलेवार तरीके से निशाना बनाया जा रहा था। इन असफल हमलों की एक श्रृंखला की प्रतिक्रिया के जवाब में हमने एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया।’

what is USA vs Iran face off and Why is America carrying out airstrikes in Syria

अमेरिकी सेना की जवाबी कार्रवाई – फोटो : us navy

…तो क्या हमलों के पीछे ईरान है?
हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक रेजिस्टेंस ऑफ इराक (पूर्व नाम) ने ली है। फिलहाल अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि उनके पास इस बात का सबूत नहीं हैं कि ईरान ने स्पष्ट रूप से उन हमलों का आदेश दिया था, लेकिन वे ईरान को जिम्मेदार मानते हैं।’ अमेरिका ने आरोप लगाया कि ईरान उन समूहों का समर्थन करता है, जिन्होंने हमलों को अंजाम दिया।

इसलिए ईरान पर लगते रहे हैं आरोप
ईरान पर कई चरमपंथी समूहों को खड़ा करने, उन्हें वित्तीय मदद पहुंचाने या अन्य दूसरी सहायता मुहैया कराने के आरोप लगते रहे हैं। चरमपंथी समूहों को यमन से भूमध्यसागरीय तट तक मध्य पूर्व के एक हिस्से में ईरान समर्थित प्रॉक्सी समूहों का हिस्सा माना जाता है। 

उदाहरण के रूप में देखें तो लेबनान में मौजूद हिजबुल्ला सबसे शक्तिशाली है। इस नेटवर्क में यमन में हौथिस तो गाजा में हमास भी शामिल है। यह वही हमास है जिसने 7 अक्तूबर को इस्राइल पर आतंकवादी हमले किए थे जिसके बाद इस्राइल और हमास के बीच गाजा में युद्ध छिड़ गया।

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अमेरिकी सेना 

आगे क्या होगा?
सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया आगे भी जारी रहने के संकेत मिले हैं। अमेरिका ने पहले ही दो विमान वाहक पोतों को पूर्वी भूमध्य सागर में स्थानांतरित कर दिया है। वहीं, ईरान को रोकने के उद्देश्य से क्षेत्र के चारों ओर एंटी-मिसाइल सिस्टम भी तैनात किया गया है।

उधर अमेरिका ने सीरिया में लगभग 900 अमेरिकी सैनिकों और इराक में 2,500 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। ये सैनिक इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ अभियान को मजबूत करने के लिए दोनों देशों में मौजूद हैं।

हमलों के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा, ‘अमेरिकी सेना के खिलाफ ये ईरान समर्थित हमले अस्वीकार्य हैं और इन्हें रोका जाना चाहिए। ईरान अपना हाथ छिपाना चाहता है और हमारी सेनाओं के खिलाफ इन हमलों में अपनी भूमिका से इनकार करना चाहता है। हम उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे। अगर अमेरिकी सेना के खिलाफ हमले जारी रहे, तो हम अपने लोगों की सुरक्षा के लिए और जरूरी कदम उठाने में संकोच नहीं करेंगे।’ 

इस्राइल-हमास युद्ध के बीच ईरान ने अमेरिका पर आरोप लगाए
हाल ही में ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीरा बदोल्लाहियान ने कतर में हमास प्रमुख इस्माइल हनिया से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद मंत्री ने कहा कि अगर इस युद्ध में कोई और पक्ष शामिल होता है तो इसके लिए सिर्फ अमेरिका और इस्राइल ही जिम्मेदार होंगे। अगर इस्राइल आक्रमण नहीं रोकेगा तो अन्य दल भी युद्ध में कूद सकते हैं। सभी के हाथ अभी ट्रिगर पर ही हैं।

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