भूटान और चीन के बीच सीमा निर्धारण मामले को लेकर साल 2016 से रुकी हुई चर्चा मंगलवार को चीन के बीजिंग में फिर से शुरू हुई है|

सीमा विवाद पर चर्चा के 25वें दौर की बातचीत में भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोर्जी ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाक़ात की और दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति बन गई है कि दोनों के बीच सीमा विवाद का समाधान “जल्द कराया” जाना चाहिए|

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, भूटान के विदेश मंत्री का चीन का ये पहला आधिरकारिक दौरा था. इस दौरान दोनों देशों के बीच “भूटान-चीन सीमा के निर्धारण और सीमांकन” को लेकर एक संयुक्त तकनीकी टीम बनाने को लेकर एक “सहयोग समझौते” पर हस्ताक्षर किए गए हैं|

अख़बार लिखता है कि इसी साल अगस्त में इस पर सहमति बनी थी. इस संबंध में बैठक के बाद में एक साझा बयान भी जारी किया गया है. इस मौक़े पर दोर्जी के साथ भारत के लिए भूटान के राजदूत रिटायर्ड मेजर जनरल वी नामग्याल भी मौजूद चीनी पक्ष की तरफ़ के जारी बयान में कहा गया है कि दोर्जी और वांग यी की बैठक के दौरान वांग यी ने ये उम्मीद जताई कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ राजनयिक रिश्ते कायम करेंगे. अब तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी भी स्थायी सदस्य के साथ भूटान के कूटनीतिक संबंध नहीं हैं.थे |

 बयान के अनुसार, वांग यी ने कहा, “चीन और भूटान के बीच सीमा को लेकर चर्चा का नतीजा निकलने और राजनयिक संबंध कायम होने से दोनों मुल्कों के लिए लंबी अवधि के हित हैं.”

भारत ने इस मामले पर पहले कहा था कि वो दोनों के बीच की बातचीत पर उसकी नज़र है क्योंकि इसका संबंध उसकी सुरक्षा से है, ख़ासकर डोकलाम से.

डोकलाम की स्थिति भारत, भूटान और चीन के ट्राई-ज़ंक्शन जैसी है. डोकलाम एक विवादित पहाड़ी इलाक़ा है, जिस पर चीन और भूटान दोनों ही अपना दावा जताते हैं. डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है |

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